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क्या सीता माता रावण की बेटी थी - जानिए पूरा सच



जय श्रीराम मित्रो

 पुराण काल के कई तथ्यों का अध्ययन करने के बाद हमें यह पता लगता है कि जाने अनजाने में Sita Matahi Ravan ki putri hai |  इसके पीछे एक घटना विद्यमान है जो कि मैं आपको बताता हूं|

क्या सीता माता रावण की बेटी थी - जानिए पूरा सच


Sita Mata Ravan Ki Beti Kese Mani jati hai


एक बार गुरु गृत्स्मत नामक महर्षि माता लक्ष्मी जी को अपनी बेटी के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रहे होते हैं|  एवं वह प्रत्येक दिन  पूजा अर्चना करके एक कलश में मंत्रोच्चारण के साथ दूध की कुछ बूंदे  डालते रहते थे |  एक दिन जब रावण को यह बात पता लगती है तब रावण एक दिन मौका देख कर उस आश्रम में चला जाता है|

 जब रावण आश्रम में पहुंचता है तब ऋषि उस समय  वहां नहीं होते हैं तथा इस मोके का फायदा उठाकर  रावण वहां पर रुके सभी ऋषिओ  को मारकर उनका रक्त  उस कलश  में भरकर लंका में लाकर मंदोदरी को दे देता है | और उससे कहता है कि है कि बहुत  ही  तेज विश है | इसलिए इसको संभाल कर रख दो|

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 मंदोदरी के मन में हलचल सी मच गई वह देखना चाहती थी कि इस कलश  के अंदर क्या है |  एक दिन जब रावण कहीं गया होता है तब मंदोदरी इस कलश को खोल कर देखती है और इस कलश में रखा सारा रक्त पी जाती है|  रक्त के पी जाने से मंदोदरी गर्भवती हो जाती है और अपनी जग हंसाई से बचने के लिए वह इस शिशु को सीतामढ़ी नामक क्षेत्र में एक खेत मैं घड़े मैं रख कर चली जाती है |  जिससे कोई भी इस पर गन्दा आरोप ना लगा सके|

Sita Mata Raja Janak Ki Beti Kese Bani?


उसी समय  महाराज जनक के राज्य में जो कि इस समय का सीतामढ़ी कहा जाता है|  मैं सूखा पड़ा हुआ था बाहर ऋषिओ  के कहने पर जनक ने अपने राज्य में पूजा पाठ एवं मंत्रों का उच्चारण करवाया और विधि के अनुसार अपने हाथ से खेत में हल चलाया|  खेत में हल चलाते हुए हल्की नो जिसे हम शीत  भी कहते हैं |  शीत की नोक जमीन मैं जाकर फंस गए |

 Sita Mata Ravan Ki Beti Kese Mani jati hai


जब उस जगह को खोदा गया  तो उस जमीन में एक कलश निकला और उस कलश को खोलने के बाद सभी लोग अचंभित रह गए उस कलश में से एक प्यारी सी कन्या निकली जो कि बहुत ही आकर्षित और सुंदर थी | यह देख राजा जनक बहुत ही खुश हुए क्योंकि राजा जनक और उनकी पत्नी सुनयना के पास कोई संतान नहीं थी | वे दोनों संतानहीन ही थे|  इस संतान को पाकर वह संतान का सुख भोग सकते थे तथा शीत  से टकराने की वजह से इनका नाम सीता रखा गया जिन्हें राम जी धनुष तोड़कर अपने साथ विवाह कर के ले आए थे|


श्री राम जी के वनवास के बाद यह भटकते भटकते चित्रकूट नामक वन में पहुंचकर अपना डेरा जमा लेते हैं | और वहीं पर रहने लग जाते हैं फिर अचानक सुपनखा के कहने पर रावण सीता का अपहरण करने के लिए अपने मामा मारीच के साथ मिलकर एक योजना बनाता है |

रावण का मामा मारीच अपनी मायाजाल के स्वरूप एक सुंदर हिरण का रूप बनाकर तीनों को अपनी और आकर्षित करता है और सीता माता के जिद करने पर रामजी उस हिरण को पकड़ने के लिए चले जाते हैं|  अधिक समय लगने के बाद भी राम जब नहीं लौटते और कुछ समय बाद रामजी की आवाज आती है लक्ष्मण मुझे बचाओ लक्ष्मण मुझे बचाओ तो सीता माता व्याकुल होकर लक्ष्मण को अपने भैया राम जी को बचाने के लिए भेजती हैं|


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 सीता माता के बार-बार अनुरोध करने पर लक्ष्मण को जाना पड़ता है इसी बीच रावण कुटिया पर आकर सीता माता का अपहरण कर लेता है और अपने वायु मार्ग के द्वारा वह सीता जी को लंका ले जाता है लेकिन बीच में जटायु द्वारा रावण को रोकने पर रावण जटायु के दोनों पंख काट देता है और वह जमीन पर गिर जाते हैं |

निष्कर्ष 

 इस घटना से हमें यह पता लगता है कि कहीं ना कहीं अप्रत्यक्ष रूप से सीता माता का संबंध रावण से था | मुझे उम्मीद है की आप समझ गए होंगे की Ravan Ki Beti Kon Thi?  इसीलिए सीता माता को रावण की पुत्री कहा जाता है |

लेकिन यह बात रावण को नहीं पता थी तथा रावण की मृत्यु का कारण भी एक स्त्री ही थी | इसके पीछे भी एक कारण था  रावण को एक श्राप  मिला था जिसके तहत रावण  बिना किसी स्त्री के मर्जी के उसे अगर हाथ लगाता तो वह भसम हो सकता था |

इसकी कहानी भी हम आपको बताते हैं

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