Ravan temple in india -8 ऐसी जगह जहां रावण की पूजा होती है |
Bharat Main Ravan Ki Pooja Kyon Hoti Hai?
पुराण काल से ही राम जी को अच्छाई के रूप में देखा जाता और रावण को बुराई के रूप मैं जलाया जाता है | लेकिंग शायद आपको यह जानकार हैरानी होगी की भारत के कुछ राज्यों मैं देवता मानकर उनकी प्रतिमा की पूजा की जाती है | निश्चित ही रावण अपने काल मैं संसार के सबसे बड़े विद्वान् माने जाते थे | और रावण को काफी सारी ररहस्य्मयी कलाओं का ज्ञान बभी था जिस वजह से रावण को कुछ राज्यों मैं भगवान का दर्जा दिया जाता है |
रावण के ज्ञान का लोहा खुद राम जी ने भी माना था | और उनकी म्रत्यु शैया पैर लेते हुए रावण को उनके ज्ञान के लिए झुककर प्रणाम भी किया था | आज हम आपको भारत के ८ ऐसे स्थानों के बारे मैं बताते है जहां पर रावण को पूजा जाता है और वहां पैर दसहरा वाले दिन रावण को नहीं फूंका जाता है |
India Main Ravan Ki Pooja Kha Hoti Hai? - Ravan Ke Mandir
विदिशा, मध्य प्रदेश
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा शहर में रावणग्राम नामक गावं रावण की पूजा के लिए प्रसिद्ध है.| विदिशा के रावणग्राम गॉव में रावण का एक मंदिर है इसके अलावा इस मंदिर के अंदर रावण की विशाल 10 फुट की मूर्ति भी है | दसहरा वाले दिन जहां पूरा हिंदुस्तान रावण का पुतला जलाता है|
वहीं रावणग्राम के अंदर रावण की विशेष तरीके से पूजा की जाती है यहां पर दशहरा वाले दिन रावण की नाभि पर सरसो का तेल लगा कर उनके जख्म को भरने के लिए प्रार्थना की जाती है | ग्रामीण लोगो का मानना है की नाभि पर तेल लगाने से उनकी नाभि पर तीर के प्रहार से लगे हुए घाव जल्दी भर जायँगे और रावण का दर्द काम होगा जिससे उनके गांव मैं खुशहाली का वातावरण आएगा और वे लोग खुश रहेंगे |
बिसरख, उत्तर प्रदेश
उत्तरप्रदेश में स्थित ग्रेटर नोएडा के प्रसिद्ध गांव बिसरख गांव के बारे लोगो का मानना है की रावण का जन्म इसी गांव मैं हुआ था | गांव के लोगो की मान्यता के अनुसार रावण के पिता में मान्यता है कि ऋषि विश्रवा का आश्रम इसी गांव में था | लोगों के अनुसार बिसरख गांव का पुराना नाम ऋषि विश्रवा के नाम पर ही पड़ा था जिसे लोग विश्वेशरा गांव के नाम से जानते थे |
इस गांव के शिव मंदिर में वर्तमान में अष्टभुजीय शिवलिंग स्थापित है | कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वंम ऋषि विश्रवा ने की थी | और आज तक वैज्ञानिक भी इस शिवलिंग की गहराई का पता नहीं लगा पाए है | लोगो की यह भी मान्यता है की रावण द्वारा इस शिवलिंग की पूजा की जाती थी | इसलिए आज भी यहां के लोपगो के लिए रावण पूजनीय है और यहां पैर दशहरा वाले दिन शोक मनाया जाता है |यहां विजयादशमी के दिन रावण दहन नहीं किया जाता|
कानपुर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश कानपुर के शिवाला ग्राम में रावण का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे दशानन मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को सिर्फ साल में एक बार ही खोला जाता है | हर साल विजयदशमी वाले दिन इस मंदिर के पट खोले जाते है और रावण की पूजा की जाती है | विजयदशमी वाले दिन इस कैलाश मंदिर मे लाखो की संख्या मैं श्रद्धालु उमड़ते है | विजयादशमी के बाद इस मंदिर की पुरे साल के लिए बंद कर दिया जाता है |
यह भी पढ़े :- क्यों सीता माता को रावण लंका मैं नहीं छू पाया
चिखली, मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल के मंदिर के पास एक गांव चिखली मैं रावण की पूजा की जाती है | और सबसे बड़ी बात है यहां पर रावण दहन नहीं होता है | ग्रामवासिओ का मानना है की वे अगर रावण की पूजा नहीं करेंगे तो उनका गांव चिखली जल कर भस्म हो जायगा | इसी मान्यता के आधार पर उस गांव मैं रावण की मूर्तिपूजा की जाती है और और विजयादशमी वाले दिन इसी डर की वजह से चिखली गांव मैं रावण का दहन वर्जित है |
मंदसौर, मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण को पूजने की परपरा सदियों से निभाई जा रही है | खा जाता है की पहले इस नगर का नाम दशपुरा था | लेकिन बाद मैं इसका नाम बदलकर मंदसौर रख दिया गया | खा जाता है की रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म इसी गांव में हुआ था | जिस वजह से इसका नाम मंदसौर पड़ा | गांव के जमाई होने के नाते रावण का इस गांव में बड़े सत्कार के साथ नाम लिया जाता है | और प्रत्येक वर्ष हर विजयादशमी को मंदसौर मैं रामलीला नहीं मनाई जाती है और रावण को फूंकने की बजाय यह पर रावण की पूजा की जाती है | मंदसौर के रुंडी गांव मैं रावण का एक विशाल मंदिर है जहां हर रोज रावण की पूजा की जाती है |
जोधपुर, राजस्थान
राजस्थान के जोधपुर के चांदपोल नामक क्षेत्र में रावण का एक विशाल मंदिर है| यहां के लोगों के अनुसार कुछ विशेष लोग यहां पर रावण की पूजा के लिए आते हैं| उन लोगों का दावा है कि वह रावण के वंशज है और यहां रावण की पूजा के लिए आते हैं| लोगों का कहना है कि इसी क्षेत्र में रावण और मंदोदरी का विवाह संपूर्ण हुआ था | साक्ष्य के तौर पर यहां पर रावण की चवरी नामक एक छतरी मौजूद है | जो कि रावण के साक्ष्य को दर्शाती है | इसी शहर में रावण का एक बहुत विशालकाय मंदिर है जहां पर रावण की पूजा की जाती है |
यह भी पढ़े क्या सीता माता रावण की बेटी थी - जानिए पूरा सच
बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा स्थित वैद्यनाथ क्षेत्र में एक विशालकाय रावण का मंदिर है | इस मंदिर में एक शिवलिंग है| जिस शिवलिंग के सामने एक विशालकाय पैर का निशान है माना जाता है कि रावण ने एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की आराधना की थी और उनसे मोक्ष के लिए वरदान प्राप्त किए थे |
मंदिर के ही बगल में एक गहरी खुदाई में हवन कुंड मिला | जिस हवन कुंड के बारे में कहना है कि यहां पर रावण ने अपने 9 सिरों की आहुति इस हवन कुंड में ही दी थी| गांव वालों का मानना है कि अगर यहां पर रावण दहन किया गया तो गांव में भारी संख्या में मौतें हो सकती है| इस वजह से यहां पर रावण दहन नहीं होता है |
काकिनाड, आंध्र प्रदेश
पौराणिक कथाओं के अनुसार और किवदंतियों के अनुसार आंध्र प्रदेश के काकीनाड क्षेत्र में रावण ने एक शिवलिंग की स्थापना की थी| इस शिवलिंग के निकट रावण की एक विशाल प्रतिमा भी स्थापित है | इस मंदिर में कुछ विशेष समुदाय के लोग पूजा करने के लिए आते हैं| यहां पर ज्यादातर मछुआरा समुदाय शिव और रावण दोनों की पूजा करने के लिए आते हैं|
आसपास रह रहे लोगों के साक्ष्यों पर ही इस रिपोर्ट को बनाया गया है| अगर आप इन जगहों पर जाकर सच्चाई जानना चाहते हैं तो आप जाकर जान सकते हैं |
उम्मीद है आपको हमारे द्वारा भी ही जानकारी पसंद आई होगी अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो आप इसे अपने Facebook और Whatsapp Group में share करें ताकि और लोगों को भी सनातन धर्म के बारे में पता लग सके|