मंगल पांडे का संक्ष्प्ति विवरण - Short Interview of Mangal Pandey
नाम : मंगल पांडे
पिता का नाम :दिवाकर पांडे
माता का नाम : श्रीमती अभय रानी
जन्म तिथि : 30 जनवरी 1831
जन्म स्थान : बलिया जिले के नगवा गांव
मृत्यु तिथि : 8 अप्रैल 1857
जीवन उपलब्धियां : अंग्रेजो के खिलाफ 1857 मैं पहला संग्राम छेड़ा
मुख्य बिंदु
मंगल
पांडे भारत के पहले ऐसे
व्यक्ति थे जिन्होंने अंग्रेजो
के खिलाफ संग्राम छेड़ा | उनके
द्वारा भारतीओ मैं
जगाई गए आजादी की
आग ने ब्रिटिश शासन
काल के उलटे दिनों
को दावत दी थी | हालाँकि अंग्रेजों ने इस क्रांति
को दबा दिया पर मंगल पांडे
की शहादत ने देश में
जो क्रांति के बीज बोए
उसने अंग्रेजी हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही
भारत से उखाड़ फेका।
प्रारंभिक
जीवन
मंगल
पाण्डेय का जन्म संयुक
प्रांत के बलिया जिले
के नगवा गांव में 30 जनवरी 1831 को हुआ
था। इनके पिता का नाम दिवाकर
पांडे
था तथा इनकी माता का नाम श्रीमती
अभय रानी था। गरीब ब्राह्मण
परिवार में पैदा होने के कारण
युवावस्था में ही उन्हें अपनी
व् अपने परिवार की रोजी-रोटी केलिय
उन्हें मज़बूरी मैं अंग्रेजो के लिए फौज
की नौकरी करनी पढ़ी थी |
फौजी जीवन एंवम पहला विद्रोह का कारण
वे शुरू से
ही मजबूत और निडर व्यक्ति
थे जिस वजह से उन्हें आसानी
से फौज मैं नौकरी मिल गए थी | वो
सन 1849 में 22 साल की उम्र में
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में
शामिल हुए। मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी
में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री”की पैदल सेना
में एक सिपाही थे।
जब
उन्होंने बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड
पी.53’ राइफल
में नए कारतूसों को
इस्तेमाल करने का आदेश दिया|
इन कारतूसों को
इस्तेमाल करने के लिए पहले
इन्हें मुंह से खोला जाता
था | कहा
जाता है कि इन
कारतूसों के
खोल का निर्माण सूअर
एवं गाय की चर्बी के लेप से
किया जाता था | जिससे
वह हिंदू एवं मुस्लिम दोनों के धर्म भ्रष्ट
करना चाहते थे | लेकिन यह बात धीरे-धीरे छावनी में फैल गई| जिससे हिन्दू और मुसलमान सेनिको
मैं संतोष फैल गया |
मंगल
पांडे पहला स्वतंत्रता संग्राम
अग्रेजो
के द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ किए
जाने वाले भेदभाव
पूर्ण वाले व्यवहार से भारतीय सैनिक
पहले ही परेशान थे
| लेकिन इस खबर के
फैलने के बाद पूरी
सैनिक टुकड़ी में एक असंतोष का
माहौल पैदा हो गया| और
इस अफवाह ने आग में
घी डालने का काम किया
9 फरवरी 1857 को जब यह
नया कारतूस पैदल सैनिकों में बांटा गया |
घटना
के बाद अंग्रेज कमान ने मंगल पांडे
को अपनी वर्दी और राइफल देने
को कहा लेकिन मंगल पांडे ने इस आदेश
को मानने से इंकार कर
दिया | 29 मार्च
1857 को जब अंग्रेज उनकी
राइफल छीनने के लिए आगे
बढ़े तब मंगल पांडे
ने उसी राइफल से अंग्रेज मेजर
ह्यूसन पर
आक्रमण कर दिया|
मेजर ह्यूसन को
गोली मारने के बाद मंगल
पांडे ने एक और
अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब को
गोली मारकर मौत के घाट उतार
दिया इसके बाद बाकी अंग्रेजी सिपाहियों ने उन्हें पकड़
लिया और बंदी बना
लिया |पांडे
पर कोर्ट मार्शल के तहत मुकदमा
चलाकर अंग्रेजों ने 6 अप्रैल
1857 को उन्हें फांसी की सजा सुना
दी | फैसले
के अनुसार उनकी फांसी 18 अप्रैल 1857 को दी जानी
थी | लेकिन अंग्रेजों ने विद्रोह के
डर के कारण उन्हें
8 अप्रैल 1857 को ही फांसी
पर लटका दिया था|
भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम
जैसा
कि पहले ही हम आपको
बता चुके हैं कि अंग्रेजों के
बढ़ते अत्याचार से एवं भारतीय
सैनिकों के साथ भेदभाव
पूर्ण व्यवहार से भारतीय सैनिक
पहले से ही परेशान
थे जिसके बाद मंगल पांडे की फांसी के
बाद इस आग को
एक चिंगारी देने का काम किया
गया इस आग को
भड़काने के लिए चिंगारी
देने का काम किया
गया |
मंगल
पांडे को फांसी देने
के 1 महीने बाद ही 10 मई
1857 को मेरठ की छावनी में विद्रोह हो गया और
इस विद्रोह के बाद पूरे
उत्तरी भारत में छावनी सैनिकों ने अंग्रेजो के
खिलाफ बगावत कर दी थी
|इस
बगावत के बाद और
मंगल पांडे की फांसी के
बाद यह क्रांति पूरे
भारत में जगह जगह पर फैल गई
हालांकि अंग्रेज इस आंदोलन को
फैलने से रोकने में
कामयाब रहे और इसे उसी
समय दबा
दिया गया | लेकिन 1857 में शुरू हुई क्रांति को 90 साल बाद फिर से एक नए
तरीके से हवा मिली
और आंदोलन आजादी के वृक्ष के
रूप में तब्दील हो गया।
आधुनिक युग में मंगल पांडे
आधुनिक
समय में मंगल पांडे की याद में
उनके जीवन पर कई सारे
नाटक एवं फिल्मों का निर्माण हो
चुका है| 2005 में
मंगल पांडे की जीवनी पर
स्थित "मंगल पांडे द राइजिंग" फिल्म का निर्माण किया
गया | जिसके मुख्य अभिनेता आमिर आमिर खान द्वारा मंगल पांडे का अभिनय किया
गया था| इस
फिल्म का निर्देशन केतन
मेहता ने किया था
तथा साथ ही सन 2005 में
ही ‘द रोटी रिबेलियन’ नामक नाटक का भी मंचन
किया गया। इस नाटक का
लेखन और निर्देशन सुप्रिया
करुणाकरण ने किया था।