-->

mangal pandey biography in hindi PDF- History- 1857 Pehli Ladai

मंगल पांडे का संक्ष्प्ति विवरण - Short Interview of Mangal Pandey


नाम                : मंगल पांडे
पिता का नाम     :दिवाकर पांडे 
माता का नाम     : श्रीमती अभय रानी 
जन्म तिथि         : 30 जनवरी 1831
जन्म स्थान         : बलिया जिले के नगवा गांव
मृत्यु तिथि           : अप्रैल 1857
जीवन उपलब्धियां : अंग्रेजो के खिलाफ 1857 मैं पहला संग्राम छेड़ा 

mangal pandey biography in hindi PDF- History- 1857 Pehli Ladai


मुख्य बिंदु 

मंगल पांडे भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ संग्राम छेड़ा |  उनके द्वारा भारतीओ  मैं जगाई गए आजादी की आग ने ब्रिटिश शासन काल के उलटे दिनों को दावत दी थी |  हालाँकि अंग्रेजों ने इस क्रांति को दबा दिया पर मंगल पांडे की शहादत ने देश में जो क्रांति के बीज बोए उसने अंग्रेजी हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही भारत से उखाड़ फेका।
 मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में एक सिपाही थे। सन  सन 1857 की क्रांति के दौरान मंगल पांडे ने एक ऐसी चिंगारी दी जिसकी वजह से पुरे भारत के कई प्रांतो मैं इस आग ने भारत की आजादी की क्रांति का रूप ले लिया | जिससे अंग्रेजो की नींद एक झटके मैं उड़ गई थी |  अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गद्दार और विद्रोही की संज्ञा दी पर मंगल पांडे प्रत्येक भारतीय के लिए एक महानायक हैं।

 प्रारंभिक जीवन

मंगल पाण्डेय का जन्म संयुक प्रांत के बलिया जिले के नगवा गांव में 30 जनवरी 1831 को  हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था तथा इनकी माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। गरीब  ब्राह्मण परिवार में पैदा होने के  कारण युवावस्था में ही उन्हें अपनी व् अपने परिवार की रोजी-रोटी केलिय उन्हें मज़बूरी मैं अंग्रेजो के लिए फौज की नौकरी करनी पढ़ी थी |

फौजी जीवन एंवम पहला विद्रोह का कारण 

 वे शुरू से ही मजबूत और निडर व्यक्ति थे जिस वजह से उन्हें आसानी से फौज मैं नौकरी मिल गए थी | वो सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री”की पैदल सेना में एक सिपाही थे।
 ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा रियासत एवं राज हड़प करने की नीति तथा भारत में मिशनरी स्थापित करने की चाल भारतीय लोग पहले ही समझ चुके थे और जिसकी वजह से वह लोग उनसे नाराज भी थे|  लेकिन लेकिन बात  ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ से तब निकल गई  |
जब उन्होंने बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.53’  राइफल में नए कारतूसों को इस्तेमाल करने का आदेश दिया| इन कारतूसों   को इस्तेमाल करने के लिए पहले इन्हें मुंह से खोला जाता था |   कहा जाता है कि इन कारतूसों  के खोल का निर्माण सूअर एवं गाय की चर्बी के लेप से किया जाता था |  जिससे वह हिंदू एवं मुस्लिम दोनों के धर्म भ्रष्ट करना चाहते थे | लेकिन यह बात धीरे-धीरे छावनी में फैल गई| जिससे हिन्दू और मुसलमान सेनिको मैं संतोष फैल गया |

यह आपके लिए जरुरी हो सकता है :- लाल बहादुर शास्त्री जी की जीवनी 
                                              लाला लाजपत राय जीवन परिचय 

 मंगल पांडे पहला स्वतंत्रता संग्राम

अग्रेजो के द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ किए जाने वाले  भेदभाव पूर्ण वाले व्यवहार से भारतीय सैनिक पहले ही परेशान थे | लेकिन इस खबर के फैलने के बाद पूरी सैनिक टुकड़ी में एक असंतोष का माहौल पैदा हो गया| और इस अफवाह ने आग में घी डालने का काम किया 9 फरवरी 1857 को जब यह नया कारतूस पैदल सैनिकों में बांटा गया |
 तब पैदल सैनिकों में से मंगल पांडे ने इन कारतूसों  को लेने से मना कर दिया और जब अंग्रेजों ने इस कारतूस को लेने से मना करने का कारण पूछा | तब उन्होंने बताया कि इस कारतूस में सूअर एवं गाय के मांस का इस्तेमाल होता है|  जिस को छूने से हिंदू और मुस्लिम दोनों के धर्म भ्रष्ट होते हैं|
घटना के बाद अंग्रेज कमान ने मंगल पांडे को अपनी वर्दी और राइफल देने को कहा लेकिन मंगल पांडे ने इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया |  29 मार्च 1857 को जब अंग्रेज उनकी राइफल छीनने के लिए आगे बढ़े तब मंगल पांडे ने उसी राइफल से अंग्रेज मेजर ह्यूसन  पर आक्रमण कर दिया|
 इस प्रकार इन कारतूस की वजह से अंग्रेजों के लिए एक नई समस्या पैदा हो गई थी जिसके बाद मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में अंग्रेजों के खिलाफ जंग का बिगुल बजा दिया और क्रांति शुरू कर दी|जंग छेड़ने से पहले मंगल पांडे ने अपने बाकी साथियों से जंग में साथ देने का आवाहन किया|  लेकिन डर की वजह से बाकी साथियों ने उनका साथ नहीं दिया जिससे नाराज होकर मंगल पांडे ने मेजर ह्यूसन  को गोली  मार दी|  जो उनकी वर्दी और राइफल लेने के लिए रहे थे|
मेजर ह्यूसन  को गोली मारने के बाद मंगल पांडे ने एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब  को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया इसके बाद बाकी अंग्रेजी सिपाहियों ने उन्हें पकड़ लिया और बंदी बना लिया |पांडे पर कोर्ट मार्शल के तहत मुकदमा चलाकर अंग्रेजों ने 6 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी की सजा सुना दी  | फैसले के अनुसार उनकी फांसी 18 अप्रैल 1857 को दी जानी थी | लेकिन अंग्रेजों ने विद्रोह के डर के कारण उन्हें 8 अप्रैल 1857 को ही फांसी पर लटका दिया था|

हम इस लेख Biopic of Mangal pandey ki jivni  के बारे जानेंगे , First indian  fight 1857 , Birthday of mangal pandey kaun tha history in  hindi


भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम

जैसा कि पहले ही हम आपको बता चुके हैं कि अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार से एवं भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार से भारतीय सैनिक पहले से ही परेशान थे जिसके बाद मंगल पांडे की फांसी के बाद इस आग को एक चिंगारी देने का काम किया गया इस आग को भड़काने के लिए चिंगारी देने का काम किया गया |
मंगल पांडे को फांसी देने के 1 महीने बाद ही 10 मई 1857 को मेरठ की छावनी में विद्रोह हो गया और इस विद्रोह के बाद पूरे उत्तरी भारत में छावनी सैनिकों ने अंग्रेजो के खिलाफ बगावत कर दी थी |इस बगावत के बाद और मंगल पांडे की फांसी के बाद यह क्रांति पूरे भारत में जगह जगह पर फैल गई हालांकि अंग्रेज इस आंदोलन को फैलने से रोकने में कामयाब रहे और इसे उसी समय  दबा दिया गया | लेकिन 1857 में शुरू हुई क्रांति को 90 साल बाद फिर से एक नए तरीके से हवा मिली और आंदोलन आजादी के वृक्ष के रूप में तब्दील हो गया।
 इस विद्रोह के बाद मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उभर कर आए | जिनसे प्रेरणा लेकर भारत के छोटे-छोटे रजवाड़े, राजा महाराज एवं किसानों के मन में भी आजादी के बीज उग  गए थे|  जिससे अंग्रेजों को महसूस होने लगा कि अब भारत पर राज करना पहले जितना आसान नहीं रह गया है

आधुनिक युग में मंगल पांडे

आधुनिक समय में मंगल पांडे की याद में उनके जीवन पर कई सारे नाटक एवं फिल्मों का निर्माण हो चुका है|  2005 में मंगल पांडे की जीवनी पर स्थित "मंगल पांडे राइजिंग" फिल्म का निर्माण किया गया | जिसके मुख्य अभिनेता आमिर आमिर खान द्वारा मंगल पांडे का अभिनय किया गया था|  इस फिल्म का निर्देशन केतन मेहता ने किया था तथा साथ ही सन 2005 में ही रोटी रिबेलियन’ नामक नाटक का भी मंचन किया गया। इस नाटक का लेखन और निर्देशन सुप्रिया करुणाकरण ने किया था।
 जेडी स्मिथ के प्रथम उपन्यासवाइट टीथमें भी मंगल पांडे का जिक्र है।
 सन 1857 के विद्रोह के पश्चात अंग्रेजों के बीचपैंडीशब्द बहुत प्रचलित हुआ, जिसका अभिप्राय था गद्दार या विद्रोही।
 भारत सरकार ने 5 अक्टूबर 1984 में मंगल पांडे के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।



Disqus Comments

Dosto is blog main hum apko btayenge :tech news in hindi,general knowledge , trending news, Technology , trending news,history google,indian history,rochak story,new business idea,positive thought,motivational story,social related topics,dosto ap bhi agar chae to hmare sath apna blog bhi share kr sakte hai.